October Junction
Divya Prakash Dubey
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया। वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता। हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं। एक जो हम हर दिन जीते हैं। दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है। ‘अक्टूबर जंक्शन’ चित्रा और सुदीप की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है।
კატეგორია:
წელი:
2019
გამომცემლობა:
Hind Yugm
ენა:
hindi
გვერდები:
150
ISBN 10:
9387464407
ISBN 13:
9789387464407
ISBN:
B07MKMCMKQ
ფაილი:
PDF, 654 KB
IPFS:
,
hindi, 2019